शांति और एकांत पसंद करने वाले प्राणी ने अपने बच्चे, अपने परिवार को खो दिया, क्योंकि मनुष्यों के एक समूह ने उसके साथ एक खेल खेलने का फैसला किया। एक ऐसा खेल जिसकी कीमत उसकी जान को चुकानी पड़ी।
एक भयानक घटना में, एक 15 वर्षीय गर्भवती हाथी की केरल में मृत्यु हो गई, पानी में खड़े होकर, 27 मई को, पटाखों से भरे अन्नानास खिलाए जाने के बाद, उसे कुछ स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर पेश किया। उसके मुंह में फल फट गया था, जिससे उसकी मौत हो गई।
अधिकारी मोहन ने इस घटना को सोशल मीडिया पर लेने का फैसला किया क्योंकि वह हर किसी को बतलाना चाहता था कि जब वह भूखा था, तो हानि-रहित जानवर ने हम पर भरोसा कैसे किया।
मोहन_कृष्णन, वन_अधिकारी ने अपने फेसबुक पर भी इसकी जानकारी देते हुए लिखा।
“जब वह गाँव की गलियों में दुख दर्द में दौड़ती थी तो एक भी इंसान को नुकसान नहीं पहुँचाती थी। उसने एक भी घर को नहीं कुचला। यही कारण है कि मैंने कहा, वह अच्छाई से भरी है। ” मोहन कृष्णन, वन अधिकारी”
“अधिकारी ने कहा, “हमने वहां एक चिता में उनका अंतिम संस्कार किया। हमने उनके सामने झुककर अपने अंतिम सम्मानों का भुगतान किया।”
सोर्स : https://www.facebook.com/mohan.krishnan.1426/posts/2979525145456462
हम कितने अमानवीय हो गए है अपने आचरणों से ….!! मानव के सोचने का समय है कि…. जानवर कौन है???
केरल में केवल हाथी नहीं…..मानवता मरी है ।
केरल की घटना ने पुनः सिद्ध कर दिया कि शिक्षित होना और सभ्य होना, दोनों अलग अलग बातें हैं ।
जब से मानव ने सभ्यता सीखनी शुरू की और अपना विकास करना प्रारम्भ किया, लगभग तभी से उसने जानवरों के महत्व को भी समझ लिया था। हमने जानवरों की वफ़ादारी को देखा और उसे अपना साथी बना लिया, मानव सभ्यता के विकास में जो पशु लाखों साल से हमारे कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे हैं, अगर हम उन्हें ही आधुनिकताऔर सनक के नाम पर मार देते हैं तो फिर हमें किसी भी तरह सभ्य इंसान कहलाने का हक़ नहीं बनता है! धन्य है वो अनपढ़ ,गँवार अंधविश्वास जो हाथी को भगवान गणेश , कुत्ते को भैरव , भैंस को यमराज का वाहन मान कर श्रद्धा से नमन कर रोटी खिलाते हैं । शिक्षितों की तरह अन्ननास में पटाखे डाल कर नहीं खिलाते ।ऐसी वीभत्स घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और सार्वजनिक रूप से एक उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
अब कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो ये मत पूछना हम ही क्यों… हमने क्या किया था क्योंकि जो हिसाब इंसान नही रख पाता उसका हिसाब ऊपर वाला जरूर रखता है ।
जितनी बार भी मस्तिष्क में इस वीभत्स अपराध का दृश्य उभर कर आ रहा है उतनी ही बार यह भयावह दृश्य हृदय को झकझोर कर रख दे रहा है । ऐसे नरपिशाचों के कृत्यों को देखकर लगता है मानो कोरोना तो मात्र एक झांकी है ।
इस माँ को श्रद्धांजलि अपने बच्चे के साथ बेहतर दुनिया मे जाने के लिए…. इस धरती पर तुम्हारे लायक कोई जगह नहीं थी ।
🙏😔

Wo padhai kya jo insaniyat bhula dein, isse acha toh unpadh log hai kam se kam uparwaale se dartey toh hai
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Aapke post ki heading kaafi ‘Tikhi’
hai.
Mana aap naeaz h, par insano ke liye itna bhi kathorpan jayaz nhi h.
Dhyan de pl
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
ये उस समय की मानसिक दशा को बताता है ।आपने बहुत अच्छा कमेंट दिया । धन्यवाद आपको🙏
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Hum ab bhi insaan h. Shayad ab bhi hamme insaaniyat baaki bachi h kahin tabhi to kisi manushya (jo manushya kehlaane k bhi laayak nahin ) ke iss gunaah ki ham bhartsana kar pa rahe h. Ham amaanviyata dekh mehsoos kar paa rahe h. Actuaaly sabhi ammanviya nahin hue h.Ye kuchh mutthi bhar amaamush logon ki kaarastaaniyon ne samaaj ko hilakar rakha hua h.
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
https://youtu.be/5RviYDczd1c. I have prepared a visual on this topic. Pl see. Thx
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति